बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित एक प्रमुख स्थापत्यकला का अद्वितीय उदाहरण है। इसे राजराजा चोल प्रथम ने 11वीं शताब्दी में बनवाया था और यह चोल वंश की कला और संस्कृति का प्रतीक है। यह मंदिर शिव को समर्पित है और इसे 'बड़ा मंदिर' भी कहा जाता है।
मंदिर का विशाल गुम्बद इसकी भव्यता को दर्शाता है। यह ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है और आकाश की ओर ऊंचाई में गर्व से खड़ा है। इसकी संरचना वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अनुसरण करती है, जिसमें गुम्बद के शिखर पर एक विशाल एकल पत्थर का उपयोग किया गया है। यह पत्थर और इसकी स्थापत्यकला विश्वभर में आकर्षण का केंद्र है।
मंदिर के भीतर कई देवताओं की मूर्तियाँ हैं, जो उत्कृष्ट शिल्पकला का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। यहां की दीवारों पर उत्कीर्ण चित्रण उस काल की विभिन्न कहानियों को बयां करते हैं। दीवारों की नक्काशी से उस समय की सामाजिक और धार्मिक परंपराओं का पता चलता है।
इसके प्रांगण में नटराज की भव्य मूर्ति ध्यान आकर्षित करती है, जो शील और शांति का संदेश देती है। बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि यह कला, संस्कृति और विज्ञान के समन्वय का भी प्रमाण है, जिसे देखने के लिए हर वर्ष अनेक आगंतुको का आगमन होता है। इसके दर्शन मात्र से इतिहास से जुड़ने का अनुभव प्राप्त होता है, जो इसे विशेष और महत्वपूर्ण बनाता है।